किसान आन्दोलन में पिछले कुछ दिनों से छाए कौन हैं ये राकेश टिकैत
नमस्कार दोस्तों ......
किसान आन्दोलन पिछले २ महीने से चल रहा है ,ऐसे में आप ने कई उतर चढ़ाव देखे होंगे,इस बीच कई बार इस किसान आन्दोलन के ऊपर सरकार का दबाब और कभी विपछ और किसान आन्दोलन के जरिये कभी सरकार के ऊपर दबाब बनाने की लगातार कोशिश की जा रही है!
लेकिन इन सब के बीच एक इंसान जो लगातार इसमें चर्चा का पात्र बना हुआ है (राकेश सिंह टिकैत )
इस आन्दोलन में सबसे ज्यादा आवाज आपने इनकी ही सुनी होगी ,कभी सरकार को ललकारते हुए तो कभी सरकार पर दबाब बनांते हुए और देखा जाये तो ये ये उनका एक मुद्दा भी है जिस के जरिये समय समय पर वो किसानो की बातें उनकी परेशानियाँ सरकार के सामने रखते आये हैं!तो कौन हैं ये राकेश सिंह टिकैत और ये कैसे किसानो के नेता बन के उभारें है, आइये कुछ रोसनी डालते
कौन हैं ये राकेश सिंह टिकैत
अभी कुछ दिनों पहले राकेश सिंह टिकैत ने ये बयां दिया था की अगर सरकार उनकी बातों को नहीं मानती है तो वो आत्महत्या कर लेंगे ,लेकिन ये भावुकता भरी बातों को बोलने का जो अंदाज या कहा जाये की जो तरीका है, वो दर असल में उनको कही न कही देखा जाये तो विरासत में मिली है ,और ये विरासत उन्हें महेंद्र सिंह टिकैत से मिला है ! अब आप के मन ये ये सवाल उठ रहा होगा की अब ये महेंद्र सिंह टिकैत कौन हैं
और इनका राकेश सिह टिकैत से क्या संबंध है ! दरअसल महेंद्र सिंह टिकैत वो हैं जो देश के किसानो के बहुत बड़े नेता के रूप में जाने जाते थे ,और महेंद्र सिंह टिकैत एक ऐसे किसान नेता थे जिनकी एक आवाज् पर देश के सरे किसान एक जुट हो जाया करते थे !चाहे दिल्ली हो या लखनऊ सभी जगहों के किसान एकजुट हो जाया करते थे !और अपनी इसी एकता के बल पर सरकारों को अपनी बातों को मनवाने के लिए मजबूर कर लेते थे !महेंद्र सिंह टिकैत जी की कुल मिला 7 बच्चे थे ,जिसमें 4 बेटे और 3 बेटियां थी!
बड़े बेटे के नाम राकेश टिकैत है जो की भारतीय किसान यूनियन के अध्यछ हैं,दूसरे बेटे के नाम राकेश टिकैत है जो राष्ट्रीय किसान यूनियन के प्रवक्ता हैं!
राकेश टिकैत के इस सफर की शुरुआत कैसे हुई....
संन् 1985 में राकेश टिकैत दिल्ली पुलिस में नौकरि लग गयी बतौर हेड कॉन्स्टेबल में,जैसे तैसे वक़्त बीतता गया ,फिर सन् 1990 में राकेश टिकैत के पिता महेंद्र टिकैत जी ने सरकार के खिलाफ् एक आंदोलन कि शुरआत की लाल के ऊपर,तभी प्रशाशन ने राकेश टिकैत के ऊपर जो की दिल्ली पुलिस में भर्ती थे उन पर दबाब बनाने की प्रक्रिया चालू कर दी,जिस से की वो प्रेशर में आ गए और उन्होंने नौकरी से स्तीफा दे दिया ,और अपने पिता के साथ आंदोलन में उनका साथ देने लगे!
वहीं से उनकी छ्बि एक किसान नेता के रूप में उभर्ने लगी,राकेश टिकैत बहुत ज्यादा अक्रामक् बोलने वाले नेता के रूप में जाने जाने लगे!
कुछ समय बाद राकेश टिकैत की पिता जी की कैंसर की बीमारी से मौत हो गई ,और विरासत की तौर पर महेंद्र टिकैत के बड़े बेटे को किसान यूनियन के अध्यछ बनाया गया,और राकेश टिकैत को राष्ट्रीय किसान यूनियन के प्रवक्त्ता घोषित कर दिया!
तब से राकेश टिकैत ने किसानों के लिए कई सारी लड़ाईया लड़ी आप को बता दे की वो लगभग 43 बार जेल जा चुके हैं !
मध्यप्रदेश में भूमि अधिग्रहण के मामले में उन्होंने आवाज़ लगाईं जिस के लिए उन्हें 39 दिनों तक करवास् में रखा गया
दूसरी बार किसानों को गन्ने के मूल्य उचित मिल सके इस के लिए संसद भवन के सामने उन्होंने आंदोलन चलाया
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